इंसान का शरीर अमूमन 98.6 डिग्री फारेनहाइट यानी 37 डिग्री सेल्सियसतापमान को बनाए रखता है। तापमान के थोड़ा भी बढऩे पर पसीना पैदा कर और रक्त वाहिकाओं को डाइलेट कर यानी फैलाकर शरीर खुद को ठंडा करने की कोशिश करता है। लेकिन जब ऐसा नहीं हो पाता और रक्त वाहिका के आकार के बड़े हो जाने के कारण दिल की धड़कन तेज और ब्लड प्रेशर कम हो जाता है तब दिल के रोगियों के लिए दिक्कत पैदा हो सकती है। ब्लड को पंप करने में असमर्थ कमजोर दिल वाले लोग शरीर को ठंडा रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त को पंप करने में असमर्थ होते हैं। इसलिए वे ब्लड प्रेशर को भी सामान्य नहीं रख पाते हैं। इसके चलते उनके शरीर का तापमान नुकसानदेह स्तर तक बढ़ सकता है।
हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती गर्मी के कारण पिछले कुछ सालों में दिल से जुड़ी बीमारियां, खासतौर पर हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। माना जाता है कि सर्दियों में दिल का दौरा पडऩे का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, न केवल कंपकंपाने वाली ठंड बल्कि झुलसाने वाली गर्मी भी दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा सकती है। इसलिए दिल के मरीजों को दोनों स्थितियों में सावधानी बरतनी चाहिए। दिल का दौरा पडऩे की संभावना तब और बढ़ जाती है जब कुछ दिनों तक लगातार तेज धूप और गर्मी होती है। इसका कारण यह है कि शरीर के मेटाबॉलिज्म को 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 डिग्री फारेनहाइट) के अपने सामान्य तापमान को बनाए रखने के लिए कठिन मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिल पर दबाव पड़ता है।
लक्षणों की अनदेखी न करें
– सिर दर्द होना
– बहुत अधिक पसीना आना
– त्वचा का ठंडा और नमीयुक्त होना
– ठंड लगना और चक्कर आना
– जी मिचलाना
– उल्टी और कमजोरी महसूस करना
– नाड़ी का तेज चलना
– मांसपेशियों में ऐंठन और सांस का तेज चलना
ऐसे करें बचाव
यदि आप इन चेतावनी भरे इन संकेतों को शुरुआती दौर में ही पहचान लेते हैं और फिर ठंडे वातावरण में आराम करते हैं, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करते हैं तो पीडि़त शख्स की स्थिति में सुधार हो सकता है।